पुराण विषय अनुक्रमणिका PURAANIC SUBJECT INDEX (Anapatya to aahlaada only) by Radha Gupta, Suman Agarwal, Vipin Kumar Anapatya - Antahpraak (Anamitra, Anaranya, Anala, Anasuuyaa, Anirudhdha, Anil, Anu, Anumati, Anuvinda, Anuhraada etc.) Anta - Aparnaa ((Antariksha, Antardhaana, Antarvedi, Andhaka, Andhakaara, Anna, Annapoornaa, Anvaahaaryapachana, Aparaajitaa, Aparnaa etc.) Apashakuna - Abhaya (Apashakuna, Apaana, apaamaarga, Apuupa, Apsaraa, Abhaya etc.) Abhayaa - Amaavaasyaa (Abhayaa, Abhichaara, Abhijit, Abhimanyu, Abhimaana, Abhisheka, Amara, Amarakantaka, Amaavasu, Amaavaasyaa etc.) Amita - Ambu (Amitaabha, Amitrajit, Amrita, Amritaa, Ambara, Ambareesha, Ambashtha, Ambaa, Ambaalikaa, Ambikaa, Ambu etc.) Ambha - Arishta ( Word like Ayana, Ayas/stone, Ayodhaya, Ayomukhi, Arajaa, Arani, Aranya/wild/jungle, Arishta etc.) Arishta - Arghya (Arishtanemi, Arishtaa, Aruna, Arunaachala, Arundhati, Arka, Argha, Arghya etc.) Arghya - Alakshmi (Archanaa, Arjuna, Artha, Ardhanaareeshwar, Arbuda, Aryamaa, Alakaa, Alakshmi etc.) Alakshmi - Avara (Alakshmi, Alamkara, Alambushaa, Alarka, Avataara/incarnation, Avantikaa, Avabhritha etc.) Avasphurja - Ashoucha (Avi, Avijnaata, Avidyaa, Avimukta, Aveekshita, Avyakta, Ashuunyashayana, Ashoka etc.) Ashoucha - Ashva (Ashma/stone, Ashmaka, Ashru/tears, Ashva/horse etc.) Ashvakraantaa - Ashvamedha (Ashwatara, Ashvattha/Pepal, Ashvatthaamaa, Ashvapati, Ashvamedha etc.) Ashvamedha - Ashvinau (Ashvamedha, Ashvashiraa, Ashvinau etc.) Ashvinau - Asi (Ashvinau, Ashtaka, Ashtakaa, Ashtami, Ashtaavakra, Asi/sword etc.) Asi - Astra (Asi/sword, Asikni, Asita, Asura/demon, Asuuyaa, Asta/sunset, Astra/weapon etc.) Astra - Ahoraatra (Astra/weapon, Aha/day, Ahamkara, Ahalyaa, Ahimsaa/nonviolence, Ahirbudhnya etc.) Aa - Aajyapa (Aakaasha/sky, Aakashaganga/milky way, Aakaashashayana, Aakuuti, Aagneedhra, Aangirasa, Aachaara, Aachamana, Aajya etc.) Aataruusha - Aaditya (Aadi, Aatma/Aatmaa/soul, Aatreya, Aaditya/sun etc.) Aaditya - Aapuurana (Aaditya, Aanakadundubhi, Aananda, Aanarta, Aantra/intestine, Aapastamba etc.) Aapah - Aayurveda (Aapah/water, Aama, Aamalaka, Aayu, Aayurveda, Aayudha/weapon etc.) Aayurveda - Aavarta (Aayurveda, Aaranyaka, Aarama, Aaruni, Aarogya, Aardra, Aaryaa, Aarsha, Aarshtishena, Aavarana/cover, Aavarta etc.) Aavasathya - Aahavaneeya (Aavasathya, Aavaha, Aashaa, Aashcharya/wonder, Aashvin, Aashadha, Aasana, Aasteeka, Aahavaneeya etc.) Aahavaneeya - Aahlaada (Aahavaneeya, Aahuka, Aahuti, Aahlaada etc. )
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अमित नारद १.४६.३७( अमितध्वज : धर्मध्वज - पुत्र, खाण्डिक्य - पिता, केशिध्वज व खाण्डिक्य के संवाद का प्रसंग ), ब्रह्माण्ड ३.४.१.६०( सुधर्मा गण देवों में से एक ), भागवत ९.१५.२( जय - पुत्र, पुरूरवा वंश ), कथासरित् १४.३.५६( अमितगति : चण्डसिंह - बन्धु, कैलास के उत्तर भाग पर आधिपत्य प्राप्ति के लिए तप ) Amita
अमिताभ नारद १.८५.११७( दिग्दलों में पूजनीय ४ देवताओं में से एक ), ब्रह्माण्ड १.२.३६.५४( स्वारोचिष मन्वन्तर में १४ देव गण, नाम ), ३.४.१.१८( अमिताभ देवगण के अन्तर्गत २० नाम ), वायु १००.१६/२.३८.१६( अमिताभ देवगण के अन्तर्गत २० नाम ), विष्णु ३.१.२०( पांचवें रैवत मन्वन्तर में देवों का एक गण ), Amitaabha
अमित्रजित् भागवत ९.१२.१२( सुतपा - पुत्र, बृहद्राज - पिता, इक्ष्वाकु वंश ), वायु ९९.२८६(सुपर्ण - पुत्र, भरद्वाज - पिता, इक्ष्वाकु वंश ), स्कन्द ४.२.८२( कृष्ण भक्त अमित्रजित् का नारद से मिलन, मलयगन्धिनी कन्या की रक्षा व परिणय ), ५.२.४६.३( राजा अमित्रजित् द्वारा मलयगन्धिनी कन्या की कालकेतु दानव से रक्षा का वृत्तान्त ), लक्ष्मीनारायण १.४७४( वही), Amitrajit
अमील कथासरित् ८.२.१९२( हिरण्याक्ष - पुत्र, द्वितीय पाताल में वास, स्वकन्या कलावती का चक्रवर्ती सूर्यप्रभ से विवाह करना )
अमृत पद्म १.४७.१४०( गरुड द्वारा माता हेतु स्वर्ग से अमृत हरण की कथा ), २.४( अमृत कुम्भ की रक्षा के रूप में सोमशर्मा की परीक्षा की कथा ), ब्रह्म २.३६( राहु द्वारा अमृत भक्षण पर विष्णु द्वारा शिरच्छेदन, ईश्वरी नामक शक्ति द्वारा राहु की देह से अमृत का पृथक्करण, अमृत से प्रवरा/अमृता नदी का प्राकट्य ), ब्रह्माण्ड ३.४.१०.१( अमृत वितरण हेतु विष्णु द्वारा मोहिनी रूप धारण की कथा ), भागवत ८.८+ ( समुद्र मन्थन से अमृत की उत्पत्ति व मोहिनी द्वारा वितरण की कथा ), मत्स्य २५१( समुद्र मन्थन से अमृत का प्राकट्य, देवों द्वारा पान ), वायु ३१.८( अमृतवान् : त्विषिमान् नामक १२ देवगण में से एक ), स्कन्द ३.१.१३.६( अमृतवापी का माहात्म्य : अगस्त्य - अनुज द्वारा अमृतत्व प्राप्ति के कारण नामकरण ), ३.१.२८( साध्यामृत तीर्थ का माहात्म्य : पुरूरवा द्वारा तीर्थ में स्नान से उर्वशी की पुन: प्राप्ति की कथा ), ४.१.४१.१०६( योग में अमृत पान की विधि ), ४.१.५०( गरुड द्वारा अमृत हरण की कथा ), ४.२.७०.५४( अमृतेश्वरी देवी का संक्षिप्त माहात्म्य : अमृतत्व प्राप्ति ), ४.२.९४( अमृतेश्वर लिङ्ग का माहात्म्य : सनारु - पुत्र उपजङ्घनि का पुनर्जीवन ), ५.१.५१( सर्पों से भिक्षा प्राप्त न होने पर रुद्र द्वारा अमृतकुम्भों से अमृत का पान, सर्पों द्वारा शिप्रा नदी जल से कुम्भों का पूरण करने पर कुम्भों का पुन: अमृत से पूर्ण होना ), ५.३.१९८.८७( वेणा तीर्थ में उमा की अमृता नाम से स्थिति का उल्लेख ), महाभारत वन ३१३.६५( गौ दुग्ध के अमृत होने का उल्लेख : यक्ष - युधिष्ठिर संवाद ), लक्ष्मीनारायण २.२८.२४( आमृतिक जाति के नागों का गीतकार होना ), २.१४०.९( अमृत प्रासाद के लक्षण ),२.१४०.२५( अमृतोद्भव प्रासाद के लक्षण ), ३.३२.१०( अथर्वा अग्नि - पुत्र ), कथासरित् ७.२.३१( रत्नाधिपति राजा की पत्नी अमृतलता की पातिव्रत्य परीक्षा में असफलता ), १०.९.२४२( अमृततेज : वज्रकूट नगर के राजा अमृततेज का मुनि के शाप से हिरण्याक्ष बनना, शाप से मुक्ति पर मृगाङ्कलेखा से विवाह ), द्र. समुद्र मन्थन Amrita
अमृतप्रभ भागवत ८.१३.१२( आठवें सावर्णि मन्वन्तर में देवों का एक गण ), कथासरित् ८.२.३४७( अमृतप्रभा : पर्वत मुनि की कन्या, महल्लिका - सखी, सूर्यप्रभ द्वारा प्राप्ति ), १४.३.१२१( विद्याधरराज, वह्नि पर्वत पर क्षिप्यमाण नरवाहनदत्त की रक्षा )
अमृता ब्रह्माण्ड १.२.१९.१९( प्लक्ष द्वीप की एक नदी ), १.२.२४.२७( वर्षा करने वाली सूर्य की नाडियों/रश्मियों का समूह ), २.३.७.१९( मेन व मेनका - पुत्री, १४ अप्सराओं में से एक ), ३.४.१९.२०( अमृताकर्षिणी : भण्डासुर वध हेतु १६ चन्द्र कला रूपी देवियों में से एक ), ३.४.३५.२९( अमृतेश्वरी : बुद्धि शाला में आनन्दवापी में नौका में विहार करती हुई वारुणी देवी का नाम ), ३.४.३६.७१( अमृताकर्षिणी : भण्डासुर वध हेतु १६ चन्द्र कला रूपी देवियों में से एक ), ३.४.४४.१२०( अमृताकर्षिणी : भण्डासुर वध हेतु १६ चन्द्र कला रूपी देवियों में से एक ), मत्स्य १३.४२( विन्ध्य में देवी का अमृता नाम ), १३.४९( वेणा तीर्थ में सती देवी का नाम ), १२२.३३(शाक द्वीप में गङ्गा के सात प्रकारों में से एक, वेणु का उपनाम ), वायु ४९.१७( प्लक्ष द्वीप की एक नदी ), ६९.५६( जल/अमृत से उत्पन्न कन्या ), विष्णु २.४.११( प्लक्ष द्वीप की एक नदी ), विष्णुधर्मोत्तर २.१३२.५( अमृता नामक शान्ति के चित्र वर्ण व अधिदेवता का कथन ), लक्ष्मीनारायण १.३८५.३८(अमृता का कार्य), Amritaa
अमोघा पद्म १.५५( शन्तनु - पत्नी, पति द्वारा ब्रह्मा से समागम की अनुमति, लौहित्य तीर्थ की उत्पत्ति ),
अमोघाक्ष मत्स्य १३.३५( अमोघाक्षी : विपाशा तीर्थ में सती का नाम ), स्कन्द ५.३.१९८.७३(विपाशा तीर्थ में उमा की अमोघाक्षी नाम से स्थिति का उल्लेख )
अमोहक पद्म ३.१८.१०१( तापस तीर्थ में पितरों का नाम ), मत्स्य १९१.१०५( ब्रह्म तीर्थ का दूसरा नाम, अमोहक तीर्थ में गज शिला पर पिण्ड दान का माहात्म्य ), लक्ष्मीनारायण २.२६८(अमोहाक्ष : राजा, प्रबोध - शिष्य, गुरु द्वारा चतुर्भुज रूप में दर्शन, गुरु - सेवा, बन्धन से मुक्ति हेतु गुरु का अरण्य गमन ), Amohaka
अम्बर ब्रह्म २.७९.१०( गौतम के उत्तर तट पर नृसिंह द्वारा अम्बर्य दैत्य का वध ), भागवत ६.१०.१९( वृत्रासुर - सेनानी, इन्द्र से युद्ध ), मत्स्य १३.२७( अम्बर तीर्थ में सती का विश्वकाया नाम से वास ), वायु ४२.४५( मेरु कूट से नि:सृत एक नदी, तटवर्ती स्थान व माहात्म्य ), लक्ष्मीनारायण २.७७.५८( कृष्णाम्बर दान से वस्त्र निर्माण के पाप का क्षालन ), २.२९३.१०५( बालकृष्ण व लक्ष्मी के विवाह में काल द्वारा युगल को अम्बर भेंट ), २.२९३.१०९(भूतप्रेत गण द्वारा बालकृष्ण व लक्ष्मी के विवाह में अम्बर भूषा भेंट करना ), कथासरित् १५.२.३५(पोत्रराज विद्याधर - पुत्री, मन्दरदेवी - सखी, नरवाहनदत्त से विवाह ); द्र. अन्तरिक्ष, आकाश, चिदम्बर, चिदाकाश Ambara
अम्बरीष गर्ग १.५.२६( अम्बरीष का युयुधान रूप में अवतरण ), पद्म ५.८४( अम्बरीष का नारद से हरि भक्ति विषयक प्रश्न, वैष्णव धर्म का कथन ), ५.९५( नारद द्वारा अम्बरीष को पूर्व जन्म के वृत्तान्त का कथन, देवदास हेमकार द्वारा स्वर्ण मूर्ति निर्माण ), ब्रह्म १.१०६.१२३( स्वर्णहारक के अम्बरीष नामक नरक में यातना भोगने का उल्लेख ), ब्रह्मवैवर्त्त ४.२५( एकादशी व्रत के काल में दुर्वासा के आगमन का आख्यान ), ४.५०( अम्बरीष द्वारा दुर्वासा को केशयुक्त भोजन प्रस्तुत करने पर दुर्वासा का कोप ), ब्रह्माण्ड १.२.३२.१०८( ३३ मन्त्रकर्ता आङ्गिरसों में से एक ), २.३.७.३६( कद्रू के पुत्रों में एक प्रधान नाग ), २.३.३४.३९( अम्बरीष की उत्तमा प्रकार की भक्ति ), २.३.६३.६( नाभाग - पुत्र, विरूप - पिता, आङ्गिरस उपनाम ), २.३.६३.७२( मान्धाता व बिन्दुमती - पुत्र, नर्मदा - पति, युवनाश्व - पिता ), २.३.६३.१७२( नाभाग - पुत्र, सिन्धुद्वीप - पिता ), भागवत ९.४( दुर्वासा द्वारा कृत्या की उत्पत्ति का प्रसंग ), लिङ्ग २.५( त्रिशङ्कु व पद्मावती - पुत्र, अम्बरीष की कन्या श्रीमती के स्वयंवर में नारद को वानर मुख प्राप्ति की कथा ), वायु २८.२६( पुलह व क्षमा - पुत्र ), ५९.९९( ३३ मन्त्रकर्ता अङ्गिरसों में से एक ), ६९.७३/२.८.७०( एक प्रधान काद्रवेय नाग ), शिव ३.१९( दुर्वासा द्वारा अम्बरीष की परीक्षा ), ३.२९.३( नभग - पौत्र ), ५.२२.३( देह रूपी पाक/पचन पात्र अम्बरीष का कथन ), ५.३६.२३( अम्बरीष के बाह्ल - पुत्र होने का उल्लेख ), स्कन्द २.२.८.८५+ ( दुराचारी अम्बरीष की पुरुषोत्तम क्षेत्र में मुक्ति, भगवद् स्तुति ), २.७.१+ ( अम्बरीष का नारद से वैशाख माहात्म्य विषयक संवाद ), ३.२.९.४०( गार्ग्य गोत्र के ऋषियों का एक प्रवर ), ३.२.९.८९( आङ्गिरस गोत्र का एक प्रवर, गुणों का कथन ), ४.२.५८.४९( अम्बरीष तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य : कालिमा से मुक्ति ), ४.२.७७.६९( अम्बरीषेश्वर लिङ्ग का संक्षिप्त माहात्म्य : गर्भवास से मुक्ति ), ४.२.८४.१६( अम्बरीष तीर्थ का संक्षिप्त माहात्म्य : गर्भवास से मुक्ति ), ६.९३.१९( अम्बरीष द्वारा तप से सुवर्चा पुत्र की प्राप्ति, पुत्र के कुष्ठग्रस्त होने पर पाताल गङ्गा जल में स्नान से व्याधि से मुक्ति ), ७.३.१३(अम्बरीष द्वारा हृषीकेश की आराधना, क्रिया योग उपदेश की प्राप्ति ), वा.रामायण १.६१( यज्ञ पशु की चोरी पर अम्बरीष द्वारा ऋचीक - पुत्र शुन:शेप को यज्ञ पशु बनाना, विश्वामित्र द्वारा शुन:शेप की रक्षा ), लक्ष्मीनारायण १.४११( अम्बरीष - कन्या श्रीमती के स्वयंवर में नारद व पर्वत को वानर मुख प्राप्ति की कथा ), १.४७६( एकादशी व्रत के पारण पर दुर्वासा का कोप, दुर्वासा द्वारा उत्पन्न कृत्या से कृष्ण के चक्र द्वारा रक्षा ), १.५५३.६३( अम्बरीष तीर्थ का माहात्म्य : अम्बरीष द्वारा विष्णु दर्शन हेतु तप, विष्णु द्वारा मुक्ति के उपाय का कथन ), १.५५९( अम्बरीष के यज्ञ में प्रतिग्रह प्राप्त करने से ब्राह्मण का मृत्यु - पश्चात् ब्रह्मराक्षस बनना ), २.२८.२१( अम्बरीष जाति के नागों का सूतकार व वाहन - रक्षक बनना ) Ambareesha/ ambarisha
अम्बष्ठ गरुड १.९६.२( विप्र द्वारा वैश्य स्त्री से उत्पन्न वर्णसंकर सन्तान का नाम ), गर्ग ७.१०.१८( केरल देश के राजा अम्बष्ठ द्वारा प्रद्युम्न को भेंट ), ब्रह्मवैवर्त्त १.१०.१८( विप्र द्वारा वैश्य स्त्री से उत्पन्न वर्णसंकर संतान का नाम ), भागवत १०.४३.२( कुवलयपीड हाथी का महावत, कृष्ण द्वारा वध ), १०.८३.२३( अम्बष्ठ देश के राजा द्वारा कृष्ण - पत्नी लक्ष्मणा के स्वयंवर में मत्स्य वध में असफलता ), मत्स्य ४८.२१( अम्बष्ठ देश के राजा सुव्रत का उल्लेख ) Ambashtha
अम्बा अग्नि ५०.३२( अम्बाष्टक देवियों की प्रतिमाओं के लक्षण ), देवीभागवत १.२०.४१(काशिराज - कन्या अम्बा की शाल्व पर आसक्ति, भीष्म द्वारा हरण व त्याग ), ७.३८.१०( नील पर्वत पर नीलाम्बा देवी का वास ), १२.१०( अम्बा, दुला, नितत्नि आदि वर्षा ऋतु की १२ शक्तियां ), ब्रह्माण्ड ३.४.८.३३( मैथुन कर्म में २५ तत्त्वों को सुख देने के लिए अम्बा - सदाशिव का ध्यान ), ३.४.३३.१७( गोमेदक शाला में कालसंकर्षिणी अम्बा की भक्ति ), भविष्य ३.१.६.४९( अवन्तिका के प्रमर नृप का अम्बावती पुरी में निवास करके सुखी होना ), स्कन्द १.२.६.१०५( अम्बा शब्दार्थ का निरूपण : अङ्गों का वर्धन करने वाली ), ६.५७( अम्बा द्वारा आत्मघात पर भीष्म द्वारा पाप निवारण के लिए तीर्थ यात्रा ), ६.८८( चमत्कार नृप की कन्या, काशिराज - पत्नी, पति की मृत्यु पर शत्रु वधार्थ देवी की आराधना, देवी द्वारा मातृकाओं की सृष्टि, मातृकाओं के नियन्त्रण के लिए अम्बा देवी द्वारा स्व पादुकाओं की स्थापना ), ६.११६( रेवती द्वारा वंश नाश से मुक्ति हेतु अम्बा देवी की आराधना), वास्तुसूत्रोपनिषद ६.५१टीका(रुद्र की २ प्रजनन शक्तियों में से एक), लक्ष्मीनारायण २.२८३.५८( अम्बा द्वारा बालकृष्ण को तेजोमणि देने का उल्लेख ), ४.१०१.१२३( कृष्ण - पत्नी, आम्बलि व बालकेशी युगल की माता ), ३.१००.१३७( मनोजित् शिल्पी की भार्या, दिशांश ककुब् की माता ), द्र. जगदम्बा, त्र्यम्बक, बालाम्बा Ambaa
अम्बालिका देवीभागवत १.२०.७०( काशिराज - कन्या, विचित्रवीर्य - पत्नी, पति की मृत्यु पर व्यास से पाण्डु पुत्र की उत्पत्ति ), विष्णु ४.२०.३५( वही), स्कन्द ५.१.३१.८०( समाधि नियम से अम्बालिका के दर्शन का माहात्म्य ), वास्तुसूत्रोपनिषद ६.२१टीका(रुद्र की २ प्रजनन शक्तियों में से एक), लक्ष्मीनारायण ४.४६.६४( स्वर्णकार - स्त्री, उपनाम विनोदिनी, कीर्तन में समाधि की उपलब्धि ), कथासरित् ६.४.२५( राजा प्रसेनजित् के अम्बा - अम्बालिका के कुल में जन्म का उल्लेख ) Ambaalikaa
अम्बावृद्धा स्कन्द ६.८८( काशिराज - पत्नियों अम्बा व वृद्धा के तप से अम्बावृद्धा देवी की उत्पत्ति, शत्रुओं के नाश हेतु मातृकाओं की सृष्टि, मातृकाओं को नियन्त्रित करने के लिए स्व पादुकाओं की स्थापना, पादुका पूजन का माहात्म्य ), लक्ष्मीनारायण १.४.९४( वही)
अम्बिका देवीभागवत १.२०.६७( काशिराज - कन्या, विचित्रवीर्य - पत्नी, पति की मृत्यु पर व्यास से धृतराष्ट्र पुत्र की उत्पत्ति ), ३.१९.३४( कवच में अम्बिका से अग्र भाग की रक्षा की प्रार्थना ), ५.२२.४३( शुम्भ - निशुम्भ वध हेतु देवों द्वारा जगदम्बा की स्तुति पर अम्बिका देवी का प्राकट्य ), ५.२३+ ( पार्वती के शरीर से मनोहर अम्बिका रूप के नि:सृत होने पर शेष शरीर का काली देवी में रूपान्तरण, अम्बिका पर शुम्भ - निशुम्भ की आसक्ति की कथा ), ५.२८( अम्बिका द्वारा शुम्भ - सेनानी रक्तबीज से युद्ध व उसका वध ), ५.२९.२२( अम्बिका द्वारा रक्तबीज के रक्त के पान हेतु चामुण्डा को मुख का विस्तार करने का आदेश ), ब्रह्मवैवर्त्त ३.३९.१७( अम्बिका द्वारा अधोदिशा की रक्षा ), ब्रह्माण्ड १.२.९.५( अम्बिका के योनिभूत गायत्री, त्रिष्टुप व जगती छन्द ), १.२.१९.८९( आम्बिकेय : शाक द्वीप का एक पर्वत ), भागवत ३.१२.१३( रुद्र की ११ पत्नियों में से एक ), ६.१७.१७( पार्वती का नाम, अम्बिका द्वारा राजा चित्रकेतु को शाप ), १०.२.१२( देवकी के गर्भ का कर्षण करने वाली योगमाया का एक नाम ), १०.३४( अम्बिका वन में सर्प द्वारा नन्दी के पाद का ग्रहण, कृष्ण के पाद स्पर्श से सर्प का रूपान्तरण होने की कथा ), मत्स्य १२२.१६( आम्बिकेय : शाक द्वीप का एक पर्वत, सुमना उपनाम, वराह द्वारा हिरण्याक्ष के वध का स्थान ), मार्कण्डेय ८५.४०+ /८२.४३+ ( पार्वती के शरीरकोश से निर्गत अम्बिका की कौशिकी नाम से ख्याति, चण्ड - मुण्ड द्वारा सुन्दर अम्बिका के दर्शन आदि ), वामन ५७.६९( अम्बिका द्वारा स्कन्द को २ गण प्रदान करना ), विष्णु ४.२०.३६(अम्बिका द्वारा रक्तबीज के रक्त के पान हेतु चामुण्डा को मुख का विस्तार करने का आदेश ), स्कन्द १.२.३६.२४( मही - सागर संगम पर देवों द्वारा सिद्धाम्बिका की स्तुति ), ४.१.२९.३८( गङ्गा सहस्रनामों में से एक ), लक्ष्मीनारायण २.२१६.८९( अम्बिक : कायनी नगरी के पारावार पिब राजा के गुरु ), कथासरित् ७.८.५६( पार्वती का नाम, राजा परित्याग सेन द्वारा अम्बिका की आराधना से २ पुत्रों की प्राप्ति ) Ambikaa
अम्बु गरुड १.९६.३८( अम्बु में थूकने, मल - मूत्र त्याग करने का निषेध ), ब्रह्माण्ड २.३.७.९८( अम्बुक : ९ ब्रह्मराक्षसों में से एक, ब्रह्मधान - पुत्र ), भागवत ८.१३.२०( अम्बुधारा : आयुष्मान् - पत्नी, ऋषभ अवतार की माता ), मार्कण्डेय १०.५०( भुक्त अन्न से निर्मित अम्बु का उदान वायु द्वारा अधोगति के निरोध का कथन ), विष्णु ३.१२.२७( अम्बु में थूकने, मल - मूत्र त्याग करने का निषेध ), स्कन्द ६.४६( अम्बुवीचि : बलभद्र नृप - पुत्र, सरस्वती तीर्थ में स्नान से मूकत्व की समाप्ति ), द्र. कुशाम्ब, कौशिकाम्ब Ambu |